Written by : Rajnish Kumar
फरेब थी हँसी उनकी हम आशिकी समझ बैठे, मौत को ही हम अपनी ज़िंदगी समझ बैठे, वो वक़्त का मज़ाक था या हमारी बदनसीबी, जो उनकी दो बातों को मोहब्बत समझ बैठे।
कभी दूर तो कभी पास थे वो, न जाने किस किस के करीब थे वो, हमे तो उन पर खुद से भी ज्यादा भरोसा था, लेकिन ठीक ही कहता था ये जमाना, वेबफा थे वो।
हर दिल का एक राज़ होता है, हर बात का एक अंदाज़ होता है .. जब तक ना लगे बेवफ़ाई की ठोकर , हर किसी को अपनी पसंद पर नाज़ होता है..
दर्द है दिल में पर इसका एहसास नही होता है, रोता है दिल जब वो पास नही होता है, हम बर्बाद हो गये उसके प्यार में, और वो कहते हैं, इस तरह से कभी प्यार नही होता है।
हर दिल का एक राज़ होता है, हर बात का एक अंदाज़ होता है .. जब तक ना लगे बेवफ़ाई की ठोकर , हर किसी को अपनी पसंद पर नाज़ होता है..
दर्द है दिल में पर इसका एहसास नही होता है, रोता है दिल जब वो पास नही होता है, हम बर्बाद हो गये उसके प्यार में, और वो कहते हैं, इस तरह से कभी प्यार नही होता है।
कुछ चीज़े हम पुरानी छोड़ आए हैं, आते आते उसकी आँखो मे पानी छोड़ आए हैं, ये ऐसा दर्द है जो बया हो ही नही सकता… दिल तो साथ ले आए धड़कन छोड़ आए हैं
दिल से कब निकलता है दिल में बस जाने के बाद, दर्द कितना होता है बिछड़ जाने के बाद, जो पास होता है उसकी कदर नही होती है, कदर होती है दूर जाने के बाद।
तुम्हारे चाँद से चहरे पर गम अच्छे नही लगते, एक बार हम से कह दो तुम चले जाओ, हमे तुम अच्छे नही लगते।
उनकी मुस्कान हमारी कमजोरी है, उनसे कुछ कह न पाना हमारी मजबूरी है, वो क्यों नहीं समझते हमारी ख़ामोशी को, क्या ख़ामोशी को जुबान देना जरूरी है।
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