Written by : Rajnish Kumar
हमें न मोहब्बत मिली न प्यार मिला; हम को जो भी मिला बेवफा यार मिला! अपनी तो बन गई तमाशा ज़िन्दगी; हर कोई अपने मकसद का तलबगार मिला!
मैंने प्यार किया बड़े होश के साथ! मैंने प्यार किया बड़े जोश के साथ! पर हम अब प्यार करेंगे बड़ी सोच के साथ! क्योंकि कल उसे देखा मैंने किसी और के साथ!
कहती है दुनिया जिसे प्यार, नशा है , खताह है! हमने भी किया है प्यार , इसलिए हमे भी पता है! मिलती है थोड़ी खुशियाँ ज्यादा गम! पर इसमें ठोकर खाने का भी कुछ अलग ही मज़ा है!
उन्होंने जो किया ये शायद उनकी फितरत है! अपने लिये तो प्यार एक इबादत है! न मिले उनसे तो मरकर बता देंगे! कि कितनी मुहब्बत है इस दिल में!
प्यार किया था तो प्यार का अंजाम कहाँ मालूम था! वफ़ा के बदले मिलेगी बेवफाई कहाँ मालूम था! सोचा था तैर के पार कर लेंगे प्यार के दरिया को! पर बीच दरिया मिल जायेगा भंवर कहाँ मालूम था!
शायरी नहीं आती मुझे बस हाले दिल सुना रही हूँ; बेवफ़ाई का इलज़ाम है, मुझपर फिर भी गुनगुना रही हूँ; क़त्ल करने वाले ने कातिल भी हमें ही बना दिया; खफ़ा नहीं उससे फिर भी मैं बस, उसका दामन बचा रही हूँ।
अगर दुनिया में जीने की चाहत ना होती; तो खुदा ने मोहब्बत बनाई ना होती; लोग मरने की आरज़ू ना करते; अगर मोहब्बत में बेवाफ़ाई ना होती!
जानकार भी तुम मुझे जान ना पाए; आजतक तुम मुझे पहचान ना पाए; खुद ही की है बेवाफाई तुमने; ताकि तुम पर इल्ज़ाम ना आए!
मत पूछ मेरे सब्र की इन्तेहा कहाँ तक है; तु सितम कर ले, तेरी ताक़त जहाँ तक है; व़फा की उम्मीद जिन्हें होगी, उन्हें होगी; हमें तो देखना है, तू ज़ालिम कहाँ तक है!
पल पल उसका साथ निभाते हम; एक इशारे पर दुनिया छोड़ जाते हम; समुन्दर के बीच में पहुंचकर फरेब किया उसने; वो कहता तो किनारे पर ही डूब जाते हम।
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