by - Rajnish Kumar

तुम शायरी की बात करती हो,मैं तो बातें भी कमाल करता हूँ।

मैं आईनों से मायूस लौट आया था,मगर किसी ने बताया बहोत हसीन हूँ मैं।

कहते थे तुझको लोग मसीहा मग़र  यहां,एक शख्स मर गया तुझे देखने के बाद। 

वो एक शख्स समझता था मुझे,फिर वो भी समझदार हो गया। 

ख़्वाहिश-ए ज़िंदगी बस इतनी सी  है अब हमारी,की तेरा साथ हो और ज़िन्दगी कभी ख़त्म न हो। 

कुछ मजबूरियां हैं वरना,
कहाँ रहा जाता है तेरे बिन।

दिल की जिद हो तुम वरना,
इन आँखों ने बहुत लोग देखे हैं।

तुमने देखा ही नहीं हमसे बनाके वरना,
तुम्हे वो मक़ाम देते की ज़माना देखता।

ए इश्क मेरा ऐहतेराम कर,
एक सरफिरे की अनमोल मोहब्बत हूँ मैं।

तेरा बिना एक पल नहीं गुजरा,
ये कहते कहते एक साल गुजर गया।

तेरी जुल्फों में उलझा हुआ है,
वो मोहल्ले का सबसे सुलझा हुआ लडका।

होंगे वो कोई और जिनको कदर नहीं मोहब्बत की,
हम जिन्हें चाहते हैं ,
जिन्दगी बना लेते हैं।

बैठे बिठाये यूँ कभी आया तेरा ख्याल,
हम लाख गमजदा थे मगर मुस्कुरा दिए।

धडकनों को कुछ तो काबू में कर ऐ दिल, 
अभी तो पलके झुकाई है मुश्कुराना बाकि है 

वही मुझको अकेला कर गयी, 
जो कभी दुआओ में मांगती थी

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